Friday, February 19, 2010

पिया मिलन की रात

दुल्हन का सिंगार किये
सोचू मैं घडी घडी
जब आएगी पिया मिलन की रात
होंगे जब उनके हाथो में मेरे हाथ
सजी होगी अपने पयार की सुहाग
वो मंज़र कैसा होगा !!!!!!!!

दिल सोच सोच कर शरमाए ऐसे
जैसे पिया सामने ही हो जैसे
ये दिल कितने हसीन खवाब देखे
दिल तो बस धडकता ही रह जायेगा

हाय रे !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
वो मंज़र कैसा होगा !!!!!!!!!!

उनके सामने जाते ही
झुकी झुकी जाउंगी मैं
वो मेरा मुख हाथ से ऊपर करेंगे तो
हया और लजा से
खोई खोई जाओं मैं

हाय रे.....................
ये मंज़र कैसा होगा !!!!!!!!!!!!!!!!!

मेरे सामने बैठे हैं वो
आँखों में शरारत लिए हुए
कभी मेरी तरफ देखे
कभी खुद भी हलकी सी
चहरे पे मुस्कराहट लिए हुए
हो रहा होगा चाँद चांदनी का मिलन

हाय रे .......................
वो मंज़र कैसा होगा !!!!!!!!!!!!!!!!

ओ मेरे रब्बा
मेरे बहुत हसीं खवाब है
जो सज रहे हैं इन आखों में
पिया मिलन की रात के
जब देखेगी आनामिका
अपने चाँद को

बता मेरे दिल वो मंज़र कैसा होगा??????
दुल्हन का सिंगार किये
सजा रही हूँ बहुत से खवाब
पयार भरी होगी जब वो रात

वो पयार मंज़र मेरे महबूब के जैसा ही होगा

मगर हम चुप हैं

ये उदास शाम जब भी आती है
दिल में तन्हाई जाग जाती है

ये दिल बहुत कुछ कहना चाहता है
मगर हम चुप है
ये ऑंखें बहुत कुछ कहना चाहे
मगर हम चुप हैं
ये होंठ मुस्कुराना चाहते हैं
मगर हम चुप हैं
नहीं जानती हम चुपी की वजा
मगर हम चुप हैं

ये चुपी "आना" की दुश्मन बनती है
ये उदास शाम जब भी आती है

"आनामिका की मोहब्बत "


आप जब मिले थे हमसे पहली बार
धड़का था दिल मेरा जब पहली बार
वो जो रंग था मेरी मोहब्बत का
वो मुझे आपसे ही मिला था

चांदनी रातों में जागते रहना
सारी रात बाते करते रहना
वो जो रंग था अपनी चाहत का
वो मुझे चांदनी रातो मे मिला था

दिल तो मेरा आप में खोया रहा
होश न रही और ज़माना सोया रहा
वो जो रंग था दिल इ नाशाद का
वो मुझे दिलकी हसरत से मिला था

अचनाक जुदाई की आंधी निकल पड़ी
तेज तूफानों को बारिश चल पड़ी
वो जो रंग था हवाओं के रुखसत का
वो मुझे अँधेरी से मिला था

वो हमसे किसी बात से रूठे
हमारे सारे सपने जैसे टूटे
वो जो रंग था उल्फत का
वो मुझे आपके रूठने से मिला था

मेरी दुनियां ही उजड़ गई
जब आपकी सगाई की खबर सुनी
वो जो रंग था क़यामत का
वो मुझे इस हादसे मिला था

उनकी याद में अब लिखती हूँ
ग़ज़लों को गुनगुनाती हूँ
ये भी एक रंग है जज्बात का
जो मुझे शाएरी अदावत से मिला

तन्हाईओं का सिलसिला बढता गया
मेरा दिल भी बेचैन होता गया
ये भी एक रंग घबराहट का
जो मुझे आपको न पाने से मिला

ए खुदा वो यहाँ भी रहे
सदा खुश से झूमते ही रहे
ये भी एक रंग है फ़रियाद का
ये भी एक रंग है जो कई रंगों से जुदा है
ये मुझे "आनामिका की मोहब्बत "से मिला

Thursday, February 18, 2010

"वफ़ा निभाएगा कोन "?

बाद में मेरे तुझको चाहेगा कोन ?
आपके सितम पे सर झुकाएगा कोन?

वफ़ा करते हुए गर टूट गई मैं भी
फिर तुमसे "वफ़ा निभाएगा कोन "?

वफ़ा गर टूटी तो सोच लेना हमदम
वफाओं की मइयत बचाएगा कोन ?

तेरे लिए जीते और मरते रहे हैं हम
आपके लिए मरके भी दिखायेगा कोन?

अपनी जिंदगी भी तेरे ही नाम की थी
बेनाम हो के अब रह पायेगा कोन????

यु तो मिल ही जायेंगे आशक हाज़ारों
मगर सची मोहब्बत निभाएगा कोन?

"आना"तो फूल है रात की रानी का
दिन होते ही इसे खिलायेगा कोन ?

सूखे पतों की तरह

जिंदगी की बेबसी है
सूखे पतों की तरह
दूर दूर फैली उदासी है
सूखे पतों की तरह

दूर दूर तक बिखरे हैं
सूखे पते
दबे पाऊँ चलू
लेकिन आवाज़ पतों की
कानो से होकर
दूर तक फैली खामोशी
तोड़ती जाये है
जिसे सुन कर
पंछी भी
इस तन्हाई के आलम में
चीखे चिलाये हैं

दिल में इक आह सी दबी है
सूखे पतों की तरह
दिल में दर्द की गहराई है
सूखे पतों की तरह

मीठा ज़हर -6 the end


नहीं खबर कहा जा रही है हसीना
सूनी गलियां अधेरे रास्तो पे
चली जा रही है
दिलमें ग़मों का तूफान लिए
आँखों मन बीते कल के अरमान लिए
जो अब उसके हो कर भी
उसके नहीं रहे
उसके सपने
उसके खवाब मुठ्ठी भर रेत थे
जो आज उसके हाथ से फिसल गए
और बाकी रह गया हाथ में
रेत के निशान
जिसे अब वो कभी भी धोना नहीं चाहेगी हसीना

आंसू उसके थम नहीं रहे थे
आखिर उसे किस बात की सजा मिल गई
क्या शाएरी करना उसका गुनाह हो गया
अब कैसे राजकुमार को समझाए हसीना
जिन दीवानों की दुहाई दे कर उसे छोड़ दिया
वो दीवाने हसीना के नहीं
उसकी शाएरी के थे
कैसे सम्झ्याये
हुस्न आज है कल नहीं होगा
पर कल जब हुस्न नहीं रहेगा
तब भी लोग उसके नहीं
उसकी शाएरी के ही दीवाने होंगे
पर राजकुमार ने ये सब दिल पे
क्यों ले लिया
हसीना तो सिर्फ राज्कुअमर की थी
उसी की मोहब्बत थी
उससे कोई नहीं छीन सकता था
फिर क्यों राजकुमार ने
अपनी मोहब्बत का अपने ही हाथो
गला घोट कर मार डाला
इन सवालो को लिए
हसीना बहुत दूर चली गई
अब लिखना उसके बस में नहीं रहा
क्यूंकि लिखने को ही अब कुछ नहीं रहा

दिन ऐसे ही गम की तन्हाई में
बीतते चले गए
पीछे रह गई उसे तड़पने को
सिर्फ यादें

जिसके सहारे वो अब तक जिंदा है

वक़्त भी क्या क्या खेल दिखता है
शायेरों की महफ़िल से दूर चली आई
एक दिन...........................

यु ही गुज़र रही थी
कानो में उसे महफ़िल में
वाह वाह की आवाजें सुनाई दी
जिसे सुन कर वही रुक गई हसीना
काफी देर तक सुनती रही
सबने अपने मन की ही कही
कोई सुनाता दर्द यहाँ
सुनकर सब कर उठते आह आह
कोई सुनाता इश्क की दास्ताँ
सुनकर शोखिओं से करते वाह वाह
ये सब सुनकर हसीना मुस्कुराई
हसीना की मुस्कराहट से
जैसे महफ़िल में जान आई
एक ने पूछा
मोहतरमा आपको कहा है ठिकाना
ज़रा हम सबको भी बताना
सुन कर हसीना फिर से मुस्कुराई
शाएरी करते हुए boli..............................

"मंजिलों की खबर नहीं हमे
और रास्तो का पता पूछते हो?"

पूरी महफ़िल उसके शेयर पे
वाह वाह कर उठी
आज महीनों बाद
हसीना की चुप जुबान
फिर से शाएरी करने लगी

हसीना चुप चाप वह से चल पड़ी
उसके पीछे पीछे कुछ कदमों की आहट
होती रही
जो उसके घर के आने तक
उसे सुनाई देती रही
हसीना ने एक बार भी पलट के न देखा
तभी पीछे एक अजनबी आवाज़ ने उसे पुकारा
मस्तिक पे अजनबी से सवाल लिए
हसीना ने उसकी तरफ देखा
एक नोजवान हांफता हुआ उसे मिला

इससे फले हसीना पूछे कोन हो तुम?
नोजवान बोला..................

शाएरी ने कर दिया मुझे बेचैन
पीछे चला आया नहीं रहा चैन
हसीना सुन कर हेरान
कुछ न बोली
अपने घर की और चल दी
जाड़ो का मौसम
बर्फीली ठंडी तेज हवाएं
धुप भी खिली हुई
ऐसे बदन भी कांप जाये
हसीना बेखबर सी अपने आप मैं गुम
तबी खिड़की के बाहर देखा तो
नोजवान वही बहार बैठा था
हसीना हेरान
आखिर ये क्यों पीछे हैं नोजवान
ठंडी न लग जाये
यही सोच कर
नोजवान को लिया घर के अन्दर
लकड़ियाँ जल रही थी
नोजवान ने भी हाथ सेक लिए इधर
तबी हसीना ने चाय का प्याला
उसके आगे किया
नोजवान ने भी उसका शुक्रिया किया
हसीना फिर कुर्सी पे बैठी देखे
बहार का नज़ारा
और नोजवान ने सिर्फ उसी को ही निहारा
नोजवान काफी देर तक
हसीना की बेचैन आँखों को देखता रहा

आप शाएरी क्यों नहीं करती?
नोजवान ने हिमंत करके
आखिर ये मुश्किल सवाल कर दिया
हसीना कितनी देर तक जवाब न दिया
बस इतना ही कहा
शाएरी नहीं मेरी किस्मत मैं
मत करो शाएरी की बाते
जिसने तजा कर दी है यादें
नोजवान के कहा
ऐसा की है वजा
मुजको अपना समझकर
सब दे आज बता
हसीना को अब
वो नहीं लगा अजनबी
कह दी सारी बात
जो अब तक थी
उसके दिल मैं दबी
सुनकर नोजवान भी रह गया हेरान
क्या ऐसे भी होते हैं इंसान
हसीना उसकी यादों मैं
सबसे हो गई अनजान
जबके शाएरी ही थी
उसकी पहचान
नोजवान को कर दिया
हसीना की बातो ने परेशान
कैसे हसीना की शाएरी
उसे वापिस लोटाये
सोच सोच कर हो गया परेशान

रोज की तरह
आज भी चाँद आया है
खिड़की पे
हसीना को निहार रहा है
आज हसीना के चहरे पे
उसने अजब सी मुस्कान देखी
हसीना कहने लगी
ए चाँद
आज महीनो बाद
शाएरी के कुछ बोल
मुह से निकल गए
महफिल फिर से छा गयी
चाँद ने कहा
ये महफ़िल
कहीं नहीं गई थी
तू चली गई थी
तू क्या सोचे हैं चाहे हैं
ये तेरी शाएरी सब कुछ बयां कर देवे है
तू अगर राजकुमार से
सची मोहब्बत करती है
शाएरी लिखना फिर से शुरू कर दे
तू सोचती है
शाएरी ने तेरे राजकुमार से
जुदा किया है तो
ये शाएरी ही तेरे राजकुमार को
एक न एक दिन तेरे पास बुलाएगी
हसीना की आँखों में पानी था
उसने फिर से लिखना शुरू कर दिया
नोजवान की सारी
परेशानियाँ चाँद से दूर कर दी
रोज रोज महफ़िल होती रहती
लोग वाह वाह करते रहते
हसीना शाएरी में राजकुमार को देखा करती
शाएरी ही अब उसके जीने का
मकसद बन गई
नोजवान चांदनी रात में
चाँद से बोला
ए चाँद...............

तू सब जनता था
वो राजकुमार अब नहीं रहा
मर गया वो राजकुमार
कैसे में हसीना से कह पाता
कैसे उसे बता पाता
शुक्रिया तेरा
तुने कम से कम
हसीना को जीने का मकसद तो दे दिया
चाँद सिर्फ मुस्कुराता रहा
जनता था चाँद भी
सच जानने के बाद
हसीना भी नहीं रहेगी जिंदा
हसीना का जिंदा होना ही उसकी शाएरी है
शाएरी ने उसे अब तक रखा है जिंदा
जिसका नाम है आनामिका
जो करती है राजकुमार से पयार
जिसके शाएरी मैं मोहब्बत है बेशुमार
जो करती है चाँद से बाते हज़ार
महफ़िल करती है वाह वाह वाह

मीठा ज़हर -5

आजकल चाँद भी नहीं आ रहा
अमावास की रात जो है
हसीना चाँद के आने का
बेसब्री से करती थी इंतजार
जानती थी पूरनमाशी को
पायेगी चाँद का दीदार
मगर अपने चाँद का
क्या करे
जिसने उसकी किस्मत मैं
कभी न ख़तम होने वाली
अमावास लिख दी

दिन तो बीत रहे थे
गम के सागर में डूबे हुए
महफ़िल सजी हुई है
सभी वाह वाह कर रहे हैं
ऐसे में
हसीना के कानो में
एक आवाज सुनाई दी
वो पहचान गई
ये उसके राजकुमार की आवाज है
वो दौड़ी चली आई
राजकुमार को देख कर
उसकी ऑंखें मुस्कुराई
धड़कने भी काबू में न रही
सांसे तेज हो गई
लेकिन ये क्या
राजकुमार ने उसकी तरफ देखा तक नई
महफ़िल वाह वाह कर रही है
इधर हसीना की जान अटकी है
दिल करे महफ़िल अभी ख़तम हो जाये
और राजकुमार के सीने से लग जाये
महफ़िल के ख़तम होते ही
वो तरसती आँखों से
राजकुमार की और आई
लेकिन राजकुमार उससे अनजान
बना रहा
समझ नई आ रहा हस्सीना
क्यों है उसके लिए पराई

राजकुमार ने कुछ देर तो
हसीना को देखा
हसीना के पुकारते ही
राजकुमार ने एक झटका दे डाला
भूल जाओ मुझे
तुम मेरी मोहब्बत से
सदा के लिए आज़ाद हो
मैं तुमे इस बंधन से करता हूँ मुक्त
जाओ अपनी दुनियां मैं
खुश रहो
जहा तुमरे दीवाने
तुमारा इंतजार मैं खड़े हैं
हसीना ये क्या सुन रही है
जिसके इंतजार में
उसने अपने रातो की नींद तक
गवा दी
दिन का चैन खो दिया
कब उसका राजकुमार आएगा
और कब उसे गले लगाएगा
और आज आया भी तो
ये सबा सुना कर चला गया
और हसीना शून्य से भाव लिए
राज्कुअमर को देखती रही
जहा से वो मोड़ मुड़ गया
और वो वही खड़ी रह गई
जैसे वोकोई बुत हो
आज तो चाँद बी नई निकलने वाला
जिसे वोअपना दुःख बयां कर सकती
हसीना अपना टूटा दिल लिए
ये शहर छोड़ने का फैसला कर
इस जहा से दूर चल पढ़ी
बिना किसी को कुछ बताये हुए

मीठा ज़हर -4

हसीना ने घर आते ही
रात के साये में
चाँद का इंतज़ार करने लगी
चाँद हमेशा की तरह
बदलो के संग लुका छुपी
करता हुआ आया
हसीना ने आते ही
आज शाम की हुई मुलाकात का
खुलासा चाँद से किया
चाँद मन ही मन मुस्कुरा रहा था
और साथ ही हसीना के लिए बेचैन भी था

नदिया के उस पार
कैसा है मेरा जहा
बस ये सब सोचते सोचते
उसके दिन बी दिन बीते जाये
पर ये क्या हुआ
राजकुमार की अब
कोई खबर ही न आये
हसीना राजकुमार को न पाकर
रहने लगी बेताब
इंतजार करने लगी उसका
और चाँद से करती
ढेरो ही सवाल
अब चाँद भी
क्या देता जवाब
वो खुद भी न जाने
आखिर कहा गया
उसका राजकुमार
?????????????????????

हसीना रोज ही करने लगी
राजकुमार के आने का इंतज़ार
वो नहीं आया
वो नहीं आया
आखिर क्यों नहीं आया

हसीना ने बदलो से
बहते पानी से
चलती पवन से
तनहा रात से
करने लगे
मिन्नतें हज़ार

सुनो ज़रा
तुम वह भी होंगे
जहा वो हैं
जाओ उनको मेरा संदेशा देना
और कहना
उनके बिना एक भी पल
मुश्किल है दूर रहना
जाओ जल्दी जाओ
नदिया के उस पर
जहा है मेरा राजकुमार
जिससे करती हूँ
मैं पयार बेशुमार

कहते कहते हसीना
की ऑंखें हैं भर आई
हाय ये कैसी थी रुसवाई

दिन गुजरते गए
लेकिन वो नहीं आये

अपने कमरे की खिड़की
पर कुहनियों के बल पर बैठी है हसीना
चाँद उसे देख रहा है
सदा हसने वाला चाँद
उसकी बेचैन निगाहों को देख कर
चाँद भी उदास हो गया
हसीना ने गर्दन जैसे ही उपर की
तो चाँद सामने था
चाँद से हमेशा बाते करने वाली
हसीना आज चुप
खामोश नज़रो से
चाँद को देख रही थी
जैसे आज हसीना नहीं
उसकी ख़ामोशी
चाँद से सवाल करे है
और पूछे हैं
ये चाँद

पतझड़ हो के भी चली गई
बहारो का मौसम भी
गुजर गया
बिना उनके
सावन ने मेरे तपते हुए
बदन पे कोड़े बरसा दिए
सर्दी के कोहरे ने
मेरे बदन और भी ठंडा कर दिया
गर्मी की रुत ने
मेरे बदन को और भी तडपा दिया
मगर वो नहीं ये
कुदरत एक एक नज़ारा
आया
पतझड़ सावन बसंत बहार
चारो के चारो रुतुयें
आती रही
फिर वो क्यों नहीं आये
आखिर क्यों नहीं आये
बंद होंठो ने कुछ न कह कर
खामोश आँखों ने
हसीना के दिल मैं छुपा
सारा दर्द
चाँद से कह दिया
और चाँद भी
आज उदास तनहा या
खामोश हो गया


ख़त पढ़ते पढ़ते
हसीना का चेहरा से
गुलाल हो रहा था
उसे समझ नहीं आये
वोह कभी ख़त देखे
कभी खुद पे शर्माए
वोह फिर से ख़त पढने लगी

ख़त कुछ ही ऐसा था
जिसमे लिखा खवाब ही ऐसा था

ए हसीना सुनो ज़रा दिल थाम कर
हम तुमे चाहते हैं अपना जान कर

इसे महज एक ख़त न समझना
वर्ना हो जऊँगा खुद से बेगाना
क्या तुम मेरे संग पसंद करोगी
अपना पूरा जीवन बिताना
अगर है हां तुमारी तो
नदिया के उस पार तुम चली "आना"

ख़त पढ़ते पढ़ते हसीना की आँखें
लजा हया से इतराई जाये है
क्या करे किसे कहे
कुछ भी कहा न जाये है :)

आज की रात
हसीना की बिताये न बीते है
अब पता चला मोहब्बत में
लोग कैसे जीते हैं

पर ये उसे हो क्या रहा
जबसे ख़त पढ़ा है
वो तो एकदम गुमसुम सी हो गई
उसकी आज की रात लंबी
और लंबी होती जा रही थी

खिड़की की और देखा तो
चाँद का आगमन हो गया था
चाँद भी उसे देख कर
मुस्कुरा रहा था
मुस्कुराये भी क्यों न
आखिर वो हसीना के दिल
में हो रही एक एक हलचल से
वाकिफ जो था
हसीना ने चाँद को देखते ही
नज़रे अपनी हया से
झुका ली
चाँद बोला ..........

बोल री ए हसीना
आज तुने मुझसे आँखें क्यों
चुरा ली
आखिर वोह क्या बात है

जिसकी वजा से
हमसे sari बाते छुपा ली

सुन कर हसीना धीरे से मुस्कुरा दी
नज़रे उठा कर चाँद की और देखने लगी

मन ही मन चाँद को कहा
हाय कितना शरारती हो तुम भी
सब जानते हो
फिर भी नासमझ बनते हो
चाँद बस मुस्कुराये जा रहा था

हसीना ने धीरे से
शरमाते हुए उस ख़त का
खुलासा चाँद से किया
चाँद फिर हस पढ़ा

हसीना ब्सितर में
नींद के आगोश में चली गई
और चाँद उसे पल पल निहार रहा था

लेकिन आज चाँद
हसीना के बाते सुन कर
चुप बैठा काफी देर तक सोचता रहा

ये मोहब्बत भी क्या बला है
होश गवा देती है
अपना सब कुछ भूला देती है
देखो हसीना
कितने पायारे खवाब ले रही है
बिना उसे जाने
बिना उसे समझे
चाँद ने एक लम्बी साँस ली
और हसीना आने वाले कल
के बारे में सोच खवाब सजा रही थी
कैसा दीखता होगा वोह
न जाने कैसे कैसे ख्याल
आये जा रहे थे

सुबह हुई
हसीना मजे से शाम तक
इंतजार करने लगी
शाम होते ही वोह
मिलने चली गई
नदिया के उस पर
जहा इंतजार कर रहा था
उसके खवाबो का राजकुमार

हसीना ने जैसे ही
उसे देखा बस देखते ही रह गई
वोह बिलकुल वैसा था
जैसे उसने खवाब सजा रखे थे
सुंदर अति सुंदर
चेहरा जैसे चाँद चमक रहा हो
आँखें जैसे झील सी गहराई हो
बस देखे देखे जा रही थी हसीना

दोनों काफी देर तक चुप रहे
आँखों एक दूजे को तकते रहे
मोहब्बत का हसीं सफ़र शुरू हो गया था
दोनों को जीने का सहारा मिल गया था

हसीना करने लगी अब रोज
उसके आने का इंतजार
होता बेकरार उसके लिए
राकुमार भी बेशुमार
दोनों मोहब्बत की एक
नई दुनिया बसाये हुए थे
जैसे वो एज दूजे के लिए ही बने थे

वक़्त गुजरता रहा अपनी रफ़्तार से
वोह दोनों एक दूजे के लिए
कुछ भी करने को अब तैयार थे

उनके इश्क के तराने
ये नदिया पवन गा रहे थी

हर तरफ मोहब्बत ही मोहब्बत
जवाह होने छाये रही थी
वो दोनों एक दूजे का साथ पाकर
सारा जहा भूल बैठे थे

एक दिन
नदिया के किनारे
वो दोनों बैठे हुए थे
राजकुमार हसीना की गोद मैं
अपना सर किये हुए था
और हसीना उसके सर के बालो पर
अपनी उँगलियाँ फेर रही थी
तबी हसीना राजकुमार से बोली

suno

.........

अब आपके बिना एक पल
हमसे रहा नहीं जायेगा
जुदाई का पल हमसे सहा नहीं जायगा
हमसे अब कभी जुदा न होना
राजकुमार उसकी बात सुनकर
मुस्कुरा दिया
पगली क्या मैं रह पऊंगा तेरे बिना
मुश्किल हो जायगा ऐसे मैं मेरा जीना
जुदाई की बाते न किया कर
नदिया के पार जहा मेरा घर है

मीठा ज़हर -2


चाँद को देखते हुए
हसीना कब सो गई
उसे खुद भी अंदाजा न हुआ

रोज्मरा की जिंदगी
भाग दौड़ मैं ही निकल जाये
किसी के पास इतनी फुर्सत कहा
जो पल भर के लिए भी मुस्कुराये
लेकिन हसीना हस्ती मुस्कुराती रहती
उसकी खूबसूरती के जितने दीवाने थे
उतने ही उसकी शाएरी के भी परवाने थे
जब वो लिखती गजब कर देती
उसकी शाएरी का सरूर ही ऐसा था
हर किसी को बस पड़ने का नशा था

लिखती वोह मोहब्बत की बाते
जवा रुत की हसीन मुलाकाते
तनहाई के आलम मैं जवा राते
चाँद को आँखों मैं लिए करती
वो पयार मोहब्बत की बाते

वो देखा करती अपने
राजकुमार के हसीन खवाब
नजाने कहा छुपे बैठे हैं नवाब
एक आह सी भर के रह जाती हसीना

एक दिन अपने ही खयालो
मैं गुमसुम बैठी हुई थी
तभी दवाजा खटकने की आवाज
सुनाई दी
दरवाजा खोला तो
एक बहुत ही खूबसूरत लिफाफा पाया
जिसमे गुलाब सा ख़त मिला
जिसे खोल कर वोह पढने लगी
उसमे जो कुछ भी लिखा
उसे पड़ते पड़ते
उसके चहरे पर हेरानी के भाव
आते रहे
अब आलम ये था
एक रंग आ रहा था तो
दूजा रंग जा रहा था

Tuesday, February 16, 2010

मीठा ज़हर -1

चंचल शोख सी एक हसीना
चकती महकती रहती थी
गम क्या होता है
वो कभी न जानती थी
खूबसूरती में तो बस क़यामत थी
जो भी एक नज़र उसे देख लेता
उसी का हो कर रह जाता
उसके रूप के नजाने
कितने ही दीवाने बन गए
शाएरी के नए बहाने बन गए
हर कोई उसकी एक झलक
पाने रहने लगा बेताब
जैसे वो हसीना हो कोई महताब
हसीना किसे चाहे
क्या है सोचे हैं
है हर कोई इस बात से अनजान
लब पे सबके बस हसीना का नाम

हसीना के दिल में भी
एक चाहत होती थी बार बार
चांदनी रातो में
करती चाँद से बाते हज़ार
हर बार चाँद से पूछा करती
ए चाँद ---------------

ए चाँद मुझको बता दे
कहाँ है मेरे खवाबो का राजकुमार
जिसे देखने को दिल है बेकरार

चाँद हसीना की बात पर हसा
कुछ न बोला
कुछ न बोला
अपनी शरारती नज़रो से
बादलों के संग लुका छुपी करते हुए
हसीना को निहारे जा रहा था
जैसे चाँद भी
उसके हुसन का दीवाना हो गया हो
हसीना भी मुस्कुराते हुए
चाँद में ही कहीं खो गई
जैसे वो चाँद में आने वाले
ख्वाबो की ताबीर देख रही हो

तो तकलीफ होती है

जब दर्द हद से गुजर जाता है
तो तकलीफ होती है
अगर कोई लम्हा मुस्कुराता भी है
तो तकलीफ होती है

रो रहें हैं आज सुबा से
कोई आंसू पोछने नहीं आता
दिल चुप है हम चुप हैं
अपना दर्द लिखे तो
तकलीफ होती है

दुनिया रोने वालो को
बुजदिल कहती है
हम क्या करे अब
चुप रहे तो
तक्लीफ्फ़ होती है

ये रिश्ते नाते क्या है
कभी समझ नहीं पायंगे
इनको समझते समझते
उम्र गुजरे तो
तकलीफ होती है

हम अपना दर्द आज
लिख कर भी बयां नहीं कर पायंगे
लिखंगे तो दोस्तों को
तकलीफ होती है

लिखते लिखते आनामिका
की आंख्ने भीगती जाये है
बस कर लिखना वर्ना कलम को
तकलीफ होती है

Monday, February 15, 2010

समंदर

किसी ने अगर समंदर

देखना हो तो

मेरी रोती हुई आँखों को देख लो

मगर इनको कभी छूने की

कोशिश न करना

वर्ना डूब जओउगे

इन आँखों के समंदर मैं

पानी तो बहुत है

मगर किनारा कोई नहीं

जिंदगी भी हमे कितने रंग दिखाती है


जिंदगी भी हमे कितने रंग दिखाती है
गम ओ ख़ुशी से तार्रुफ़ करवाती है

कभी कभी होंठो की मुस्कराहट से
दर्द भरी एक आह सी सुनाती है

आई होगी किसी को हिजेर में मौत
हमे तो नींद तक नहीं दिलाती है

हज़ार रंग उतर आये हैं सोच में
मोहब्बत के रंग क्यों छुपाती है ?

दर्द में जीना ही मेरा इलाज हुआ
क्यों ये बीमार ही रहना चाहती है ?

अजीब बात खुद से नज़र चुअने वाली
दोसरों को कैसे आइना दिखाती है !!!!!!

इस ख्याल से शब् भर रोये हम
सुबा की किरण दर्द और बढ़ाती है

मिल जाएँगी सारे जहा को दुआएं भी
मुझे ही बदुआ देने क्यों चली आती है ?

तू गर चाहे तो तकदीर कों भी झुका दू
पर किस्मत कों भी तू अपना ही बनती है

कब तक दिल के गम सहते रहे हम?
सब्र का पैमाना आखिर में भर जाती है

पास रह कर पहचान ना पाए "आना" कों
दूर से देख मुझे क्यों अब मुस्कुराती है ?

दाग दमन के मेरे दिल से छुपा रहा है कोई

हस्ती हुई आँखों को रुला रहा है कोई
दाग दमन के मेरे दिल से छुपा रहा है कोई

दोस्तों का जो साथ हो मंजिल आसान हो
अकेले ही दिल्लगी का विश पिला रहा है कोई

में तुमे भूल कर भी कभी याद ना करूँ अब
लेकिन बेवफाई की बातें याद दिला रहा है कोई

में भटकती फिर रही हूँ दर ब दर इस तरह से
जिस तरह से तनहाइयों का काफ्ला रहा है कोई

किसके दामन में नहीं होती हैं यहाँ मायूसियाँ
मेरे दिल पे ही क्यों दर्द का पहरा रहा है कोई

जो आह उठती है सीने में सौतन बन कर ऐसे
तेरी राहों में आंसू लिए जीना भूला रहा है कोई

लोग पढ़ लेते हैं चहरे से तन्हाई मेरे दिल की
ऐसे आलम में राज़ दिल के छिपा रहा है कोई

दिल टूटने पर भी अब भी कुछ रिश्ते बाकी हैं
प्रेम पयार से भी मेरा नाता छुड़ा रहा है कोई

शाम भी किसी सोंग में डूब गई पर्तीत हो जैसे
इसकी तन्हाई में गुजरे पल दिखा रहा है कोई

वफ़ा की राह पे चलते हुए ना जाने क्यों गिरा दिया
ना जाने क्यों बर्बादी की खाई बना रहा है कोई

उस मुकदर के संवरने की दुआ क्या मांगे "आना"
जो मेरे चाहत ए करम से भी तोबा करा रहा है कोई

हजारों है देखे बीमार यहाँ आये हुए

चले आ रहे हैं वो सर को झुकाए हुए
माथे पे बल भी दिखे हैं पछताए हुए

हमारी मोहब्बत की कद्र थी जिनको
बेदर्द से निकले वो भी चोट खाए हुए

एक तू ही नहीं है चश्मे -बीमार यहाँ
हजारों है देखे बीमार यहाँ आये हुए

ना जिगर में आह ,ना आँखों में अश्क
दिल का दर्द भी अब तो हैं छुपाये हुए

एक घूंट नहीं लेते पैमाने मेरे हाथो से
जाम पी गए बेगानों से हाथ फैलाये हुए

मजा जो कुछ है इस दर्द ऐ मोहब्बत में
दूर हटो बेदेर्दो के हम हैं दिल लगाये हुए

जले वो रात से और मैं रातदिन से जलूं
करें मुकाबला सोजिशे- जिगर अपनाये हुए ?

वहम कुछ और हैं तुझे ,मुझे कुछ और हैं
एक-सा वहमो-गुमा भी हैं आज ठुकराए हुए

नहीं बात करते कोई भी तुझसे वफाओं की
सितमगर बात बेवफाओं की बात हैं लाये हुए

ऐ "आना"दुनियां मैं है अब कम ही लोग अच्छे
अब अपने राजे-दिल ,दिल में ही हैं बसाये हुए

Sunday, February 14, 2010


बिजली शोक में सारा कफन जला दिया
आकर हो जो तू हमारी कबर पे मुस्कुरा दिया

सपनो को तोड़ कर ,हमे रख में मिला दिया
जो आग लगे तुने मेरा घर भी जला दिया

ना जाने ये कैसा हमें ग़मों का सिलसिला दिया
हार जाएगी मोहब्बत भी जो इसे रुसवा दिया

चाँद ने जब अपना दमन बादलो में छिपा दिया
ना चाहते हुए भी तेरा पयार मुझे दिला दिया

अश्कों को हमने साहिल के किनारे पे जा बहा दिया
जब तेरी बेदर्द नज़रों का वर हम पे चला दिया

दिल ने जब चाहा सिर्फ तुझको ही पुकार दिया
तेरी आवारगी ने दिल का दर्द और भी बड़ा दिया

तेरे पास आकर ही दिल को हमने ठहरा दिया
तेरी बाँहों ने ही "आना" को आखिरी सहारा दिया
उफ़ ना करेंगे लब सी लेंगे .आंसू पी लेंगे
इसी को जीना कहते हैं तो यु ही जी लेंगे

मुझसे खफा भी हैं और गम ऐ बेरहम भी
जिंदगी के साथ साथ दावत ऐ मौत भी लेंगे

मैं तो खुदारी की कायल हूँ मगर :(:(::(
क्या करुँगी जब याद उनकी ही लेंगे

खैर मैं इस लिहाह से मान तो गई थी
कसम खुदा की अब क्या ईमान भी लेंगे

हूँ बेखबर रफ्ता ऐ बड़ा ऐ ख्याल "आना"
आपको भूलने की अब तो बदनामी ही लेंगे

मेरी बंद गली का चाँद


देर तक मुझ पर हँसता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

गया कुछ नहीं तो
रहा भी कुछ नहीं मेरा
मुझे रातदिन की तन्हाई बताता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

घर की छत खड़ी रही
मैं आहें भरती रही
बिना आवाज़ दिए देखता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

उदासी आँखों मैं रही ऐसे
दीदार की हसरत रही हो जैसे
देख कर भी ऑंखें फेरता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

मोहब्बत भी खंज़र हो गई
ज़वानी जखम में खो गई
जुदाई स क्यों घबराता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

दीवाने हुए हैं मस्ताने हुए हैं
दिल लगा कर क़ैद में सोये हैं
ज़ंजीर में भी अश्क बहता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

हवा के झोंके आते हैं
तूफान स पते झड जाते हैं
पतों पे नाम "आना" लिखता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

चाँद चुप मेरी बेबसी सुनता रहा
चाँद चुप मुझे तन्हाई देता रहा
चाँद चुप मुझे देखता रहा
चाँद चुप मुझसे ऑंखें फेरता रहा
चाँद चुपके स घबराता रहा
चाँद चुप मेरा नाम आना लिखता रहा

अब चाँद ने भी चुपी अपनी तोड़ी
बंद गली की दीवार भी सर स फोड़ी
मैं भी तेरे पास आने को हूँ बेकरार
मैं भी करता हों तुमसे बहुत पयार
आंसू की बाढ़ लिए बंद गली फोड़ता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

अरे !!!! कोई तो निकालो मेरे चाँद को
देखो आके दीवार फोड़ रहा है मेरा चाँद
दर्द ऐ दिल के आंसू लिए मुस्कुराता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
और मुझसे मिलने को तरसता रहा
मेरी बंद गली का चाँद

Saturday, February 13, 2010



आपसे हुई वो पहली मुलाकात याद आती है
पयार में डूबी हसीन रात याद है आती है

आँखें क्या मिली हम तो दीवाने हुए थे
दिल को धड्काने वाली मोहब्बत याद आती है

खुदा के पास जाते ही आपके ख़त दिखायंगे
जिसमे लिखी ही दर्द की सोगात याद आती है

रात के सनाटे में जागते रहते हैं शब् भर हम
चांदनी रातों में मिलने की आदत याद आती है

मोहब्बत तो किस्मत से ही मिलती है सुन ले "आना"
आपसे जुदा होने वाली वो क़यामत याद आती है

आपकी हर ख़ुशी को अपने नाम किये फिरते हैं
अश्कों का दरिया आँखों में आम किये फिरते हैं

आपका हर गम अपना लिया आपकी चाहत में
आपकी खातिर खुद को बदनाम लिए फिरते हैं

शामिल नहीं करते किसी को पाने ग़मों में हम
रत की तन्हाई को दर्द का जाम किये फिरते हैं

आंसू बहा बहा कर आपको याद करते हैं ऐसे
जैसे भीड़ में खुद को भी नीलाम किये फिरते हैं

दिल को समझा कर भी जीना तो पढता है यहाँ
हम तो मर मर के गुजारा आम किये फिरते हैं

अपने दिखाया था हमे राह ऐ कज़ा का एक आइना
देख देख के उसे हम दिन को शाम किये फिरते हैं

कर लेते दुनिया स बगावत भी गर वो अपना लेते
तेरे लिए अपनी बर्बादी का इंतजाम किये फिरते हैं

जहा में लोग पत्थरों को भी पूजा करते हैं अक्सर
तो क्या हुआ गर हम उसे पूजने का काम किये फिरते हैं

हाल ऐ दिल किसके पास जा सुनाऊं कोई नहीं है मेरा
पढ़ते रहना अब हम शाएरी को जुबान किये फिरते हैं

दुआ करते हैं हर ख़ुशी स सजी रहे तस्वीर ऐ यार की
उनके चहरे को अपनी आँखों के नाम किये फिरते हैं

देखो तो कभी इधर आ कर भी कैसे जी रहे हैं हम
मेरे बहते हुए अश्क मुझे ही सलाम किये फिरते हैं

जा रहे हो तो मोहब्बत के वादों को भी साथ ले जाओ
वर्ना ये टूटे हुए दिल पे जख्मों का इनाम किये फिरते हैं

गर एक झलक भी देखने को हमे मिल जाये तो कहीं
इसी आस में डूबी जिंदगी को सलाम किये फिरते हैं

वो भी जाने और हम भी जाने ,मिल ना सकेंगे कभी
फिर भी दर्द ऐ मोहब्बत "आना"के नाम किये फिरते हैं

वो मेरा हो कर भी मेरा ना रहा था

जो कल तक था तेरा ख्याल
वो मेरा भी रहा था
जिसे दिल ने अपना कहा था

चुप सी तन्हाई के आलम में
खामोशी छाई हुई थी इस कदर
ये तो किसी तूफान आने का संकेत था
जो दिल कभी भी नहीं समझा था

आँखों में उदासी और दिल में बेचैनी
किसे बताएं और किसे कहे हम
दिल तड़प तड़प उठा उस वक़्त
जब हर कोई उसे बधाई देने चला था

दिल रो रो कर सिर्फ आपको पुकारे
हम तो बस इस दिल से हैं हारे
ओ मेरे सनम इस दिल से दूर ना जा रे
पर वो सुनने वाला ही अब कहाँ था

हँसती हुई आँखों को नमी देने वाले
खूश रह अपना जहाँ रोशन करने वाले
दिल ने जिसे अपना कहा था आनामिका
वो मेरा हो कर भी मेरा ना रहा था



दर्द सीने में उतर जाने दो
जख्मो को उभर जाने दो

इस टूटे हुए दिल पे दोस्तों
जो गुजरती है गुजर जाने दो

जुदा होना था हमे.. हो गए
अब तनहाइयों में बसर जाने दो

कैसे सुनाएँ पयार की दास्तान
इसे शाएरी में बिखर जाने दो

वीरानी में मुरझाये बाग खिले तो
फूलो पे भी अश्क बिफर जाने दो

जीते ही मर गए तेरी बेरुखी से
अब मौत के भी घर जाने दो

शब् भर रोये "आना" तेरी याद में
चुप तो कर ले हम मगर जाने दो
जिंदगी भी हमे कितने रंग दिखाती है
गम ओ ख़ुशी से तार्रुफ़ करवाती है

कभी कभी होंठो की मुस्कराहट से
दर्द भरी एक आह सी सुनाती है

आई होगी किसी को हिजेर में मौत
हमे तो नींद तक नहीं दिलाती है

हज़ार रंग उतर आये हैं सोच में
मोहब्बत के रंग क्यों छुपाती है ?

दर्द में जीना ही मेरा इलाज हुआ
क्यों ये बीमार ही रहना चाहती है ?

अजीब बात खुद से नज़र चुअने वाली
दोसरों को कैसे आइना दिखाती है !!!!!!

इस ख्याल से शब् भर रोये हम
सुबा की किरण दर्द और बढ़ाती है

मिल जाएँगी सारे जहा को दुआएं भी
मुझे ही बदुआ देने क्यों चली आती है ?

तू गर चाहे तो तकदीर कों भी झुका दू
पर किस्मत कों भी तू अपना ही बनती है

कब तक दिल के गम सहते रहे हम?
सब्र का पैमाना आखिर में भर जाती है

पास रह कर पहचान ना पाए "आना" कों
दूर से देख मुझे क्यों अब मुस्कुराती है ?

हमने आँखों में बिताई सारी रात
हमे नींद ना आई सारी रात

रोये भी तो किसके आगे रोये
जग हुआ तमाशाई सारी रात

खता क्या हुई समझ ना सके
बात समझ ना आई सारी रात

दर्द आँखों में नीर बहाता चले
तड़प दिल ने जगाई सारी रात

क्या कहे किस्से कहे हम "आना"
मुंह से आवाज़ ना आई सारी रात
इक टीस सी दिल में
उबरती है
कभी दिल खुश होते हुए भी
खुश नहीं हो पता
और कभी दुखी होते हुए भी
चुप सा हो जाता है
दुनिया समझती है
आनामिका बहुत व्यस्त
रहती है
कोई क्या जाने
दिल को समझाने की
कमजोरी दिखती है
लोग कहते हैं
मोहब्बत इक जज्बा है
एहसासों का
हम कहते हैं
मोहब्बत इक सजा है
हसीन हादसों का
नई जानती क्या लिख रही हूँ
मुझे माफ़ कर देना दोस्तों
मै दर्द से नजात नहीं पा सकी
और फिर इक दर्द लिखने
को मजबूर
कलम उठती हूँ तो
मेरे आंसूं से भी
कागज भीगता जा रहा है
और में भीगते हुए कागज पर
अपना दर्द नहीं लिख पी
मुझे माफ़ कर देना
वक़्त कम है
पर माफ़ कर देना
हा माफ़ कर देना
अब मैं खामोश रहना चाहती हूँ
मेरे दिल मैं क्या है दबाना चाहती हूँ
खुद को वक़्त के हवाले करना चाहती हूँ
समाज की तीखी निगाहों से बचना चाहती हूँ
मेरे हमसफ़र मेरे हमराज़
आपकी मोहब्बत ने कर दिया दीवाना इस कदर
अब आपका नाम भी अपने साथ लगाना चाहती हूँ
जानती हूँ ये दुनियां कभी सवीकार नहीं करेगी
मै आपकी ही बन कर जीना चाहती हूँ
चाहे दुनिया मुझे मीरा पुकारे या राधा
मैं तो बस आपकी ही हो कर मर जाना चाहती हूँ

आइना

आइना मुझे बीता हुआ
लम्हा याद दिला रहा है
जब मैं उनके आने के इंतजार में
सोला सिंगार किया करती थी
मुझे आज भी याद है
जब मैं गुनगुनाती हुई
अपने बालो को संवारती थी तो

आपकी नज़रें मेरे लहराते हुए बालो पे घूमने लगती
और आप वही खड़े खड़े मेरी जुल्फों से खेलने लग जाते
और मैं शर्म और हया से इतराने लगती

मुझे आज भी याद है

जब आप चाँद बन कर मेरी बिंदिया बनते
मुझमे मोहब्बत के हसीन खवाब सजते

मेरे कानो की लम्बी बालियाँ भी
आपको शरारत करने को करती मजबूर
जब जब भी मेरी तरफ आप देखते हजुर
आपके मुख से यही आवाज आती
हाय रब्बा तेरी कान की ये बालियाँ
जान न ले ले मेरी कहीं
और मैं झट से आपके मुह पे अपना हाथ रख देती
और ऐसे मैं आपका मेरे हाथो को चूमना
हाय रब्बा बयां से बहार है जी

मुझे आज भी याद है

आप जब भी मेरे गले मैं बाँहों का
हार डाले मुझे निहारते तो
ऐसा लगता जैसा मैंने
मोहब्बत से बना नो लाख हार पहन लिया हो

शबनमी हाथो पे आपका चुम्भन
मेरे गाल गुलाल कर देता
बंद आँखों से ये दिल दीवाना हो जाता

बाँहों मैं पहनी हरे कांच की चूड़ियाँ
आपके होने का एहसास दिलाती
इसकी छन छन से मैं
सारा जहाँ भूल जाती

पाऊँ मैं पहनी पायलियाँ
जब शोर मचाती हुई
आपको पास बुलाती
मेरे दिल की धड़कन
और भी बढ़ जाती

मेरे सजना संवारना तो
पिया आपसे ही था
आप क्या रूठे हमसे
मोहब्बत से सजा
सोला सिंगार ही रूठ गया

अब तो ऐसा लगता है जैसा मोहब्बत रूठ गई है हमसे
यह लहराती हुई जुल्फें
माथे की बिंदियां
हाथो की चूड़ियाँ
होंठो की लाली
पाऊँ की पायलियाँ

कब से आपको पुकार रही हैं
सजन अब तो आ जाओ
अपनी मोहब्बत को फिर से
आ कर सजाओ
जिसमे बसी सिर्फ आपकी ही
मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत

हाय ये आइना भी तरस गया है
आपसे मिलने को
अब तो आ जाओ
मेरे हुसफ़र
मेरे हमराज़
कर रही अनामिका आपके
आने का इंतज़ार
दिल से यही आये हैं आवाज़

ओ मेरे दिल के सिरताज
एक बार चले आओ

खंज़र

रात भर मेरी पीठ में
दर्द होता रहा
में दर्द से करवते
बदलती रही
दर्द से बुरा हाल रहा
रात के अँधेरे में
समझ नहीं पा रही थी
ये दर्द क्यों है
जब सुबह हुई तो जाना
मेरे अपने दोस्त ने
विश्वासघात खंज़र से
मेरे पीठ पर
मेरा अपना बन के
वार कर दिया
जिसके दर्द से में
रात भर तडपती रही

gham ke saagar main doob jane de

zindgi humko muskurane de


derd to zindgi ka hissa hai

chhot khane ke kuch bahane de


Charagar tum agar hamare ho

Maye se pur jaam de , maikhane de


Ham to aise mukaam par ab hain

Ham ko ab sabko bhool jane de


Door ham hain to yaad karte ho

Pass aa kar ke aazmane de


Dil ka har dard sokoon deta hai

Ham ko seene pe chot khane de


Zindagi tujko dhoondh loongi main

Hosh main pahle mujhe aane de


Pyaar usko bahot karoongi mai

Pahle usko to paas aane de


Uski aamad main dil sajaya hai

Hasraten ab to muskarane de
honth mere sil gaye
ankhen meri nam go gai
sama jaise wahi tham gaya
jab usne apna raaz
mere samne rakh diya

dil bar bar kah raha tha
kah do ye sab jhuth hai
kah do apne ye majak kaha
magar wo khofnak sach tha
jo mere kano ne sun liya

mujse na rone ka wada mange
derd main ankhon husta dekhe
ufffffffffffffffffffffffffffffffffffffff
ff
wo mujse jeene ki arazu mange
jo derd judai ka mere dil ne diya

jab hoag wo duniya se rukhsat
veerani hi veerani chha jayegi
wada jo kiya khush rahna ka apse
gam e zindgi tamam umer rehegi
jo wada maine apse hai kiya

kabhi socha hai apne.......................?


kaise keroungi duniya ka samna ?
kaise hai dil ko khushi se sambhlna?
kaise aansson ke sabse hai chhupana?
kaise derd dil ka sabko nai hai batana?
kasam de di humesha khush rahne ki

jisne anamika ko bhut hi bebas bana diya ..............:(

रोज डे


दिल बहुत घबरा रहा है मेरा
ये जानते हुए भी वो अब नहीं रहा मेरा
रात की ख़ामोशी भी
मचा रही शोर है
और इस शोर को
इस दिल के सिवा
कोई नहीं है सुनने को
नींद भी आँखों से
कोसो दूर है हो रही है
और दिल मैं एक तीस सी उठ रही है
सिसकियाँ भी दिल मैं तूफान कर रही है
और हर दम सिर्फ एक ही सवाल कह रही है
जी रहे थे हम वीराने मैं ऐसे ही
फिर तुम बहार बन के आये ही क्यों थे ?
किसी और का होने से पहले
क्यों आपका दिल घबराये नहीं थे ?
सोचते सोचते मेरी आँखों में
समन्दर भर आया
कहने को आज रोज डे है
पर इस दिल का रोज
उस दिल से है मुरझाया
जब से तुने किसी और से
है दिल लगाया
एक पल के लिए भी ना सोचा
आपके बिना कैसे जिया जायेगा
लेकिन जीना तो होगा ही
चाहे रो कर जिए चाहे हँस कर

चांदनी रात है

चांदनी रात है
खिड़की पे बैठी हूँ
और दिल भी उदास है
समंदर के पास हवा के
झोंके मेरे बालो को सहलाये क्यों है ?
दिल बेखयाल हो के दर्द ही
पड़ता जाये क्यों है?
और चाँद मुझे निहारे क्यों है
आज मुझे फिर से कोई
पुकारे क्यों है
रात है घनी घनी सी
तनहा है मेरी राते
तनहा है मेरी बाते
ऐसे में तनहा रात
गुजरे क्यों है ?
ऑंखें पढ़ते पढ़ते
नाम सी हो गई
सामने से धूमकेतु भी
गुजरे क्यों है?
हाय आज में धूमकेतु से ही
कुछ तो मांग लेती
मगर अनामिका बेख्याल हुई
अपना अतीत पढने मे ही
तनहा रात गुजारे क्यों है?
ये रात रौशनी कर रही है
जाते जाते इतना तो
बता जा अनामिका को
ये रौशनी आई मेरे
दवारे क्यों है?