Saturday, February 13, 2010




दर्द सीने में उतर जाने दो
जख्मो को उभर जाने दो

इस टूटे हुए दिल पे दोस्तों
जो गुजरती है गुजर जाने दो

जुदा होना था हमे.. हो गए
अब तनहाइयों में बसर जाने दो

कैसे सुनाएँ पयार की दास्तान
इसे शाएरी में बिखर जाने दो

वीरानी में मुरझाये बाग खिले तो
फूलो पे भी अश्क बिफर जाने दो

जीते ही मर गए तेरी बेरुखी से
अब मौत के भी घर जाने दो

शब् भर रोये "आना" तेरी याद में
चुप तो कर ले हम मगर जाने दो

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