Saturday, February 13, 2010

वो मेरा हो कर भी मेरा ना रहा था

जो कल तक था तेरा ख्याल
वो मेरा भी रहा था
जिसे दिल ने अपना कहा था

चुप सी तन्हाई के आलम में
खामोशी छाई हुई थी इस कदर
ये तो किसी तूफान आने का संकेत था
जो दिल कभी भी नहीं समझा था

आँखों में उदासी और दिल में बेचैनी
किसे बताएं और किसे कहे हम
दिल तड़प तड़प उठा उस वक़्त
जब हर कोई उसे बधाई देने चला था

दिल रो रो कर सिर्फ आपको पुकारे
हम तो बस इस दिल से हैं हारे
ओ मेरे सनम इस दिल से दूर ना जा रे
पर वो सुनने वाला ही अब कहाँ था

हँसती हुई आँखों को नमी देने वाले
खूश रह अपना जहाँ रोशन करने वाले
दिल ने जिसे अपना कहा था आनामिका
वो मेरा हो कर भी मेरा ना रहा था

2 comments:

  1. दिल रो रो कर सिर्फ आपको पुकारे
    हम तो बस इस दिल से हैं हारे
    ओ मेरे सनम इस दिल से दूर ना जा रे
    पर वो सुनने वाला ही अब कहाँ था


    kaha rukta hai bhala wo jane wala..usko jana hai to jayega magar dard daman me bhar kar ku

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  2. shukeriya ji poem ak derd samjhne ka liye :)

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