
देर तक मुझ पर हँसता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
गया कुछ नहीं तो
रहा भी कुछ नहीं मेरा
मुझे रातदिन की तन्हाई बताता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
घर की छत खड़ी रही
मैं आहें भरती रही
बिना आवाज़ दिए देखता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
उदासी आँखों मैं रही ऐसे
दीदार की हसरत रही हो जैसे
देख कर भी ऑंखें फेरता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
मोहब्बत भी खंज़र हो गई
ज़वानी जखम में खो गई
जुदाई स क्यों घबराता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
दीवाने हुए हैं मस्ताने हुए हैं
दिल लगा कर क़ैद में सोये हैं
ज़ंजीर में भी अश्क बहता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
हवा के झोंके आते हैं
तूफान स पते झड जाते हैं
पतों पे नाम "आना" लिखता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
चाँद चुप मेरी बेबसी सुनता रहा
चाँद चुप मुझे तन्हाई देता रहा
चाँद चुप मुझे देखता रहा
चाँद चुप मुझसे ऑंखें फेरता रहा
चाँद चुपके स घबराता रहा
चाँद चुप मेरा नाम आना लिखता रहा
अब चाँद ने भी चुपी अपनी तोड़ी
बंद गली की दीवार भी सर स फोड़ी
मैं भी तेरे पास आने को हूँ बेकरार
मैं भी करता हों तुमसे बहुत पयार
आंसू की बाढ़ लिए बंद गली फोड़ता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
अरे !!!! कोई तो निकालो मेरे चाँद को
देखो आके दीवार फोड़ रहा है मेरा चाँद
दर्द ऐ दिल के आंसू लिए मुस्कुराता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
और मुझसे मिलने को तरसता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
अरे !!!! कोई तो निकालो मेरे चाँद को
ReplyDeleteदेखो आके दीवार फोड़ रहा है मेरा चाँद
दर्द ऐ दिल के आंसू लिए मुस्कुराता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
और मुझसे मिलने को तरसता रहा
मेरी बंद गली का चाँद
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sakhi bas yahi kah sakti hu