Monday, February 15, 2010

हजारों है देखे बीमार यहाँ आये हुए

चले आ रहे हैं वो सर को झुकाए हुए
माथे पे बल भी दिखे हैं पछताए हुए

हमारी मोहब्बत की कद्र थी जिनको
बेदर्द से निकले वो भी चोट खाए हुए

एक तू ही नहीं है चश्मे -बीमार यहाँ
हजारों है देखे बीमार यहाँ आये हुए

ना जिगर में आह ,ना आँखों में अश्क
दिल का दर्द भी अब तो हैं छुपाये हुए

एक घूंट नहीं लेते पैमाने मेरे हाथो से
जाम पी गए बेगानों से हाथ फैलाये हुए

मजा जो कुछ है इस दर्द ऐ मोहब्बत में
दूर हटो बेदेर्दो के हम हैं दिल लगाये हुए

जले वो रात से और मैं रातदिन से जलूं
करें मुकाबला सोजिशे- जिगर अपनाये हुए ?

वहम कुछ और हैं तुझे ,मुझे कुछ और हैं
एक-सा वहमो-गुमा भी हैं आज ठुकराए हुए

नहीं बात करते कोई भी तुझसे वफाओं की
सितमगर बात बेवफाओं की बात हैं लाये हुए

ऐ "आना"दुनियां मैं है अब कम ही लोग अच्छे
अब अपने राजे-दिल ,दिल में ही हैं बसाये हुए

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