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बिजली शोक में सारा कफन जला दिया
आकर हो जो तू हमारी कबर पे मुस्कुरा दिया
सपनो को तोड़ कर ,हमे रख में मिला दिया
जो आग लगे तुने मेरा घर भी जला दिया
ना जाने ये कैसा हमें ग़मों का सिलसिला दिया
हार जाएगी मोहब्बत भी जो इसे रुसवा दिया
चाँद ने जब अपना दमन बादलो में छिपा दिया
ना चाहते हुए भी तेरा पयार मुझे दिला दिया
अश्कों को हमने साहिल के किनारे पे जा बहा दिया
जब तेरी बेदर्द नज़रों का वर हम पे चला दिया
दिल ने जब चाहा सिर्फ तुझको ही पुकार दिया
तेरी आवारगी ने दिल का दर्द और भी बड़ा दिया
तेरे पास आकर ही दिल को हमने ठहरा दिया
तेरी बाँहों ने ही "आना" को आखिरी सहारा दिया
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