Tuesday, February 16, 2010

तो तकलीफ होती है

जब दर्द हद से गुजर जाता है
तो तकलीफ होती है
अगर कोई लम्हा मुस्कुराता भी है
तो तकलीफ होती है

रो रहें हैं आज सुबा से
कोई आंसू पोछने नहीं आता
दिल चुप है हम चुप हैं
अपना दर्द लिखे तो
तकलीफ होती है

दुनिया रोने वालो को
बुजदिल कहती है
हम क्या करे अब
चुप रहे तो
तक्लीफ्फ़ होती है

ये रिश्ते नाते क्या है
कभी समझ नहीं पायंगे
इनको समझते समझते
उम्र गुजरे तो
तकलीफ होती है

हम अपना दर्द आज
लिख कर भी बयां नहीं कर पायंगे
लिखंगे तो दोस्तों को
तकलीफ होती है

लिखते लिखते आनामिका
की आंख्ने भीगती जाये है
बस कर लिखना वर्ना कलम को
तकलीफ होती है

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