Saturday, February 13, 2010

आइना

आइना मुझे बीता हुआ
लम्हा याद दिला रहा है
जब मैं उनके आने के इंतजार में
सोला सिंगार किया करती थी
मुझे आज भी याद है
जब मैं गुनगुनाती हुई
अपने बालो को संवारती थी तो

आपकी नज़रें मेरे लहराते हुए बालो पे घूमने लगती
और आप वही खड़े खड़े मेरी जुल्फों से खेलने लग जाते
और मैं शर्म और हया से इतराने लगती

मुझे आज भी याद है

जब आप चाँद बन कर मेरी बिंदिया बनते
मुझमे मोहब्बत के हसीन खवाब सजते

मेरे कानो की लम्बी बालियाँ भी
आपको शरारत करने को करती मजबूर
जब जब भी मेरी तरफ आप देखते हजुर
आपके मुख से यही आवाज आती
हाय रब्बा तेरी कान की ये बालियाँ
जान न ले ले मेरी कहीं
और मैं झट से आपके मुह पे अपना हाथ रख देती
और ऐसे मैं आपका मेरे हाथो को चूमना
हाय रब्बा बयां से बहार है जी

मुझे आज भी याद है

आप जब भी मेरे गले मैं बाँहों का
हार डाले मुझे निहारते तो
ऐसा लगता जैसा मैंने
मोहब्बत से बना नो लाख हार पहन लिया हो

शबनमी हाथो पे आपका चुम्भन
मेरे गाल गुलाल कर देता
बंद आँखों से ये दिल दीवाना हो जाता

बाँहों मैं पहनी हरे कांच की चूड़ियाँ
आपके होने का एहसास दिलाती
इसकी छन छन से मैं
सारा जहाँ भूल जाती

पाऊँ मैं पहनी पायलियाँ
जब शोर मचाती हुई
आपको पास बुलाती
मेरे दिल की धड़कन
और भी बढ़ जाती

मेरे सजना संवारना तो
पिया आपसे ही था
आप क्या रूठे हमसे
मोहब्बत से सजा
सोला सिंगार ही रूठ गया

अब तो ऐसा लगता है जैसा मोहब्बत रूठ गई है हमसे
यह लहराती हुई जुल्फें
माथे की बिंदियां
हाथो की चूड़ियाँ
होंठो की लाली
पाऊँ की पायलियाँ

कब से आपको पुकार रही हैं
सजन अब तो आ जाओ
अपनी मोहब्बत को फिर से
आ कर सजाओ
जिसमे बसी सिर्फ आपकी ही
मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत

हाय ये आइना भी तरस गया है
आपसे मिलने को
अब तो आ जाओ
मेरे हुसफ़र
मेरे हमराज़
कर रही अनामिका आपके
आने का इंतज़ार
दिल से यही आये हैं आवाज़

ओ मेरे दिल के सिरताज
एक बार चले आओ

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