
दिल में तन्हाई जाग जाती है
ये दिल बहुत कुछ कहना चाहता है
मगर हम चुप है
ये ऑंखें बहुत कुछ कहना चाहे
मगर हम चुप हैं
ये होंठ मुस्कुराना चाहते हैं
मगर हम चुप हैं
नहीं जानती हम चुपी की वजा
मगर हम चुप हैं
ये चुपी "आना" की दुश्मन बनती है
ये उदास शाम जब भी आती है
आना जी
ReplyDeleteशाम का समय कुछ होता ही है ऐसा है जो बहुत कुछ दे जाता है...उस बहुत कुछ में मोती है या कंकड ये तो भगवन ही जाने मगर ये शाम जब भी आती है अक्सर उदासी ही कु लती है सबके जीवन में ....
बहुत दिल से लिखी बाते है दिल तक पहुंची
sahi kaha sakhi ji ....shukeriya hai ji :)
ReplyDeletebahut gahraai hai ana aapki kriti me lagatahai direct dil se likhati ho
ReplyDeleteshukeria vasu ji
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