Friday, February 19, 2010

"आनामिका की मोहब्बत "


आप जब मिले थे हमसे पहली बार
धड़का था दिल मेरा जब पहली बार
वो जो रंग था मेरी मोहब्बत का
वो मुझे आपसे ही मिला था

चांदनी रातों में जागते रहना
सारी रात बाते करते रहना
वो जो रंग था अपनी चाहत का
वो मुझे चांदनी रातो मे मिला था

दिल तो मेरा आप में खोया रहा
होश न रही और ज़माना सोया रहा
वो जो रंग था दिल इ नाशाद का
वो मुझे दिलकी हसरत से मिला था

अचनाक जुदाई की आंधी निकल पड़ी
तेज तूफानों को बारिश चल पड़ी
वो जो रंग था हवाओं के रुखसत का
वो मुझे अँधेरी से मिला था

वो हमसे किसी बात से रूठे
हमारे सारे सपने जैसे टूटे
वो जो रंग था उल्फत का
वो मुझे आपके रूठने से मिला था

मेरी दुनियां ही उजड़ गई
जब आपकी सगाई की खबर सुनी
वो जो रंग था क़यामत का
वो मुझे इस हादसे मिला था

उनकी याद में अब लिखती हूँ
ग़ज़लों को गुनगुनाती हूँ
ये भी एक रंग है जज्बात का
जो मुझे शाएरी अदावत से मिला

तन्हाईओं का सिलसिला बढता गया
मेरा दिल भी बेचैन होता गया
ये भी एक रंग घबराहट का
जो मुझे आपको न पाने से मिला

ए खुदा वो यहाँ भी रहे
सदा खुश से झूमते ही रहे
ये भी एक रंग है फ़रियाद का
ये भी एक रंग है जो कई रंगों से जुदा है
ये मुझे "आनामिका की मोहब्बत "से मिला

2 comments:

  1. kai rang hai is dar ek ghabrahat ke...par darke ya ghabra ke hota hai kya kya milta hai kuch nahi....ache se samjhay hai apni rachna me ek kahani ko

    ReplyDelete
  2. apne humari kavita kahani ko smajha ..shukeriay sakhi ji :)

    ReplyDelete