Saturday, February 13, 2010

इक टीस सी दिल में
उबरती है
कभी दिल खुश होते हुए भी
खुश नहीं हो पता
और कभी दुखी होते हुए भी
चुप सा हो जाता है
दुनिया समझती है
आनामिका बहुत व्यस्त
रहती है
कोई क्या जाने
दिल को समझाने की
कमजोरी दिखती है
लोग कहते हैं
मोहब्बत इक जज्बा है
एहसासों का
हम कहते हैं
मोहब्बत इक सजा है
हसीन हादसों का
नई जानती क्या लिख रही हूँ
मुझे माफ़ कर देना दोस्तों
मै दर्द से नजात नहीं पा सकी
और फिर इक दर्द लिखने
को मजबूर
कलम उठती हूँ तो
मेरे आंसूं से भी
कागज भीगता जा रहा है
और में भीगते हुए कागज पर
अपना दर्द नहीं लिख पी
मुझे माफ़ कर देना
वक़्त कम है
पर माफ़ कर देना
हा माफ़ कर देना

No comments:

Post a Comment