Saturday, March 13, 2010

Greebi


पावों में जमीं सर पे आसमां है
गरीबों के हिस्से में खुशियाँ कहाँ है ?

तकदीर में उनकी खुदा ने
खुशिओं के प्याले रखे ही कहाँ हैं ?

अमीरों के बच्चों के हाथों खिलौने
कोई खुद खिलौना बनता यहाँ है

दिन भर कमाया मगर रात काली
ये कैसी विरासत ये क्या दास्ताँ हैं

ये क्या जिंदगी है ये कैसा सफ़र है
न तन पे है कपडा न सर पे मकां है

औकात नहीं कुछ अमीरों के आगे
कहने को उनकी हुकूमत यहाँ है ....

4 comments:

  1. पावों में जमीं सर पे आसमां है
    गरीबों के हिस्से में खुशियाँ कहाँ है ?

    Sach hai.

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  2. औकात नहीं कुछ अमीरों के आगे
    कहने को उनकी हुकूमत यहाँ है ....

    bahut achchi gajal
    shandaar

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  3. apka bhut bhut shukeriya kumar & kishor ji..:)

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  4. bahut acchi aur sacchi rachna.....view my blog also at
    http://rewa-mini.blogspot.com/

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