
पावों में जमीं सर पे आसमां है
गरीबों के हिस्से में खुशियाँ कहाँ है ?
तकदीर में उनकी खुदा ने
खुशिओं के प्याले रखे ही कहाँ हैं ?
अमीरों के बच्चों के हाथों खिलौने
कोई खुद खिलौना बनता यहाँ है
दिन भर कमाया मगर रात काली
ये कैसी विरासत ये क्या दास्ताँ हैं
ये क्या जिंदगी है ये कैसा सफ़र है
न तन पे है कपडा न सर पे मकां है
औकात नहीं कुछ अमीरों के आगे
कहने को उनकी हुकूमत यहाँ है ....
पावों में जमीं सर पे आसमां है
ReplyDeleteगरीबों के हिस्से में खुशियाँ कहाँ है ?
Sach hai.
औकात नहीं कुछ अमीरों के आगे
ReplyDeleteकहने को उनकी हुकूमत यहाँ है ....
bahut achchi gajal
shandaar
apka bhut bhut shukeriya kumar & kishor ji..:)
ReplyDeletebahut acchi aur sacchi rachna.....view my blog also at
ReplyDeletehttp://rewa-mini.blogspot.com/