Saturday, March 13, 2010

दोस्त ही यहाँ दुश्मन है


यही एक आलम है
यही एक गम है

यही रंज ओ गम में
चश्म ए नम है

भीगी हैं पलकें
मुझे दम ब दम है

नहीं भेद खोलता कोई
खफा क्यों सनम है

मुझे अपने सनम का
सितम भी करम है

कोई शिकवा भी किया
तो क्या भ्हरम है

मेरे हाथ नाहक हैं
वो करता कलम है

दोस्त ही यहाँ दुश्मन है
"आना "ये क्या सितम है ?

2 comments:

  1. मुझे अपने सनम का
    सितम भी करम है

    bahut sundar ..

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