Thursday, February 18, 2010

मीठा ज़हर -6 the end


नहीं खबर कहा जा रही है हसीना
सूनी गलियां अधेरे रास्तो पे
चली जा रही है
दिलमें ग़मों का तूफान लिए
आँखों मन बीते कल के अरमान लिए
जो अब उसके हो कर भी
उसके नहीं रहे
उसके सपने
उसके खवाब मुठ्ठी भर रेत थे
जो आज उसके हाथ से फिसल गए
और बाकी रह गया हाथ में
रेत के निशान
जिसे अब वो कभी भी धोना नहीं चाहेगी हसीना

आंसू उसके थम नहीं रहे थे
आखिर उसे किस बात की सजा मिल गई
क्या शाएरी करना उसका गुनाह हो गया
अब कैसे राजकुमार को समझाए हसीना
जिन दीवानों की दुहाई दे कर उसे छोड़ दिया
वो दीवाने हसीना के नहीं
उसकी शाएरी के थे
कैसे सम्झ्याये
हुस्न आज है कल नहीं होगा
पर कल जब हुस्न नहीं रहेगा
तब भी लोग उसके नहीं
उसकी शाएरी के ही दीवाने होंगे
पर राजकुमार ने ये सब दिल पे
क्यों ले लिया
हसीना तो सिर्फ राज्कुअमर की थी
उसी की मोहब्बत थी
उससे कोई नहीं छीन सकता था
फिर क्यों राजकुमार ने
अपनी मोहब्बत का अपने ही हाथो
गला घोट कर मार डाला
इन सवालो को लिए
हसीना बहुत दूर चली गई
अब लिखना उसके बस में नहीं रहा
क्यूंकि लिखने को ही अब कुछ नहीं रहा

दिन ऐसे ही गम की तन्हाई में
बीतते चले गए
पीछे रह गई उसे तड़पने को
सिर्फ यादें

जिसके सहारे वो अब तक जिंदा है

वक़्त भी क्या क्या खेल दिखता है
शायेरों की महफ़िल से दूर चली आई
एक दिन...........................

यु ही गुज़र रही थी
कानो में उसे महफ़िल में
वाह वाह की आवाजें सुनाई दी
जिसे सुन कर वही रुक गई हसीना
काफी देर तक सुनती रही
सबने अपने मन की ही कही
कोई सुनाता दर्द यहाँ
सुनकर सब कर उठते आह आह
कोई सुनाता इश्क की दास्ताँ
सुनकर शोखिओं से करते वाह वाह
ये सब सुनकर हसीना मुस्कुराई
हसीना की मुस्कराहट से
जैसे महफ़िल में जान आई
एक ने पूछा
मोहतरमा आपको कहा है ठिकाना
ज़रा हम सबको भी बताना
सुन कर हसीना फिर से मुस्कुराई
शाएरी करते हुए boli..............................

"मंजिलों की खबर नहीं हमे
और रास्तो का पता पूछते हो?"

पूरी महफ़िल उसके शेयर पे
वाह वाह कर उठी
आज महीनों बाद
हसीना की चुप जुबान
फिर से शाएरी करने लगी

हसीना चुप चाप वह से चल पड़ी
उसके पीछे पीछे कुछ कदमों की आहट
होती रही
जो उसके घर के आने तक
उसे सुनाई देती रही
हसीना ने एक बार भी पलट के न देखा
तभी पीछे एक अजनबी आवाज़ ने उसे पुकारा
मस्तिक पे अजनबी से सवाल लिए
हसीना ने उसकी तरफ देखा
एक नोजवान हांफता हुआ उसे मिला

इससे फले हसीना पूछे कोन हो तुम?
नोजवान बोला..................

शाएरी ने कर दिया मुझे बेचैन
पीछे चला आया नहीं रहा चैन
हसीना सुन कर हेरान
कुछ न बोली
अपने घर की और चल दी
जाड़ो का मौसम
बर्फीली ठंडी तेज हवाएं
धुप भी खिली हुई
ऐसे बदन भी कांप जाये
हसीना बेखबर सी अपने आप मैं गुम
तबी खिड़की के बाहर देखा तो
नोजवान वही बहार बैठा था
हसीना हेरान
आखिर ये क्यों पीछे हैं नोजवान
ठंडी न लग जाये
यही सोच कर
नोजवान को लिया घर के अन्दर
लकड़ियाँ जल रही थी
नोजवान ने भी हाथ सेक लिए इधर
तबी हसीना ने चाय का प्याला
उसके आगे किया
नोजवान ने भी उसका शुक्रिया किया
हसीना फिर कुर्सी पे बैठी देखे
बहार का नज़ारा
और नोजवान ने सिर्फ उसी को ही निहारा
नोजवान काफी देर तक
हसीना की बेचैन आँखों को देखता रहा

आप शाएरी क्यों नहीं करती?
नोजवान ने हिमंत करके
आखिर ये मुश्किल सवाल कर दिया
हसीना कितनी देर तक जवाब न दिया
बस इतना ही कहा
शाएरी नहीं मेरी किस्मत मैं
मत करो शाएरी की बाते
जिसने तजा कर दी है यादें
नोजवान के कहा
ऐसा की है वजा
मुजको अपना समझकर
सब दे आज बता
हसीना को अब
वो नहीं लगा अजनबी
कह दी सारी बात
जो अब तक थी
उसके दिल मैं दबी
सुनकर नोजवान भी रह गया हेरान
क्या ऐसे भी होते हैं इंसान
हसीना उसकी यादों मैं
सबसे हो गई अनजान
जबके शाएरी ही थी
उसकी पहचान
नोजवान को कर दिया
हसीना की बातो ने परेशान
कैसे हसीना की शाएरी
उसे वापिस लोटाये
सोच सोच कर हो गया परेशान

रोज की तरह
आज भी चाँद आया है
खिड़की पे
हसीना को निहार रहा है
आज हसीना के चहरे पे
उसने अजब सी मुस्कान देखी
हसीना कहने लगी
ए चाँद
आज महीनो बाद
शाएरी के कुछ बोल
मुह से निकल गए
महफिल फिर से छा गयी
चाँद ने कहा
ये महफ़िल
कहीं नहीं गई थी
तू चली गई थी
तू क्या सोचे हैं चाहे हैं
ये तेरी शाएरी सब कुछ बयां कर देवे है
तू अगर राजकुमार से
सची मोहब्बत करती है
शाएरी लिखना फिर से शुरू कर दे
तू सोचती है
शाएरी ने तेरे राजकुमार से
जुदा किया है तो
ये शाएरी ही तेरे राजकुमार को
एक न एक दिन तेरे पास बुलाएगी
हसीना की आँखों में पानी था
उसने फिर से लिखना शुरू कर दिया
नोजवान की सारी
परेशानियाँ चाँद से दूर कर दी
रोज रोज महफ़िल होती रहती
लोग वाह वाह करते रहते
हसीना शाएरी में राजकुमार को देखा करती
शाएरी ही अब उसके जीने का
मकसद बन गई
नोजवान चांदनी रात में
चाँद से बोला
ए चाँद...............

तू सब जनता था
वो राजकुमार अब नहीं रहा
मर गया वो राजकुमार
कैसे में हसीना से कह पाता
कैसे उसे बता पाता
शुक्रिया तेरा
तुने कम से कम
हसीना को जीने का मकसद तो दे दिया
चाँद सिर्फ मुस्कुराता रहा
जनता था चाँद भी
सच जानने के बाद
हसीना भी नहीं रहेगी जिंदा
हसीना का जिंदा होना ही उसकी शाएरी है
शाएरी ने उसे अब तक रखा है जिंदा
जिसका नाम है आनामिका
जो करती है राजकुमार से पयार
जिसके शाएरी मैं मोहब्बत है बेशुमार
जो करती है चाँद से बाते हज़ार
महफ़िल करती है वाह वाह वाह

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