Thursday, February 18, 2010

सूखे पतों की तरह

जिंदगी की बेबसी है
सूखे पतों की तरह
दूर दूर फैली उदासी है
सूखे पतों की तरह

दूर दूर तक बिखरे हैं
सूखे पते
दबे पाऊँ चलू
लेकिन आवाज़ पतों की
कानो से होकर
दूर तक फैली खामोशी
तोड़ती जाये है
जिसे सुन कर
पंछी भी
इस तन्हाई के आलम में
चीखे चिलाये हैं

दिल में इक आह सी दबी है
सूखे पतों की तरह
दिल में दर्द की गहराई है
सूखे पतों की तरह

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