जिंदगी की बेबसी है
सूखे पतों की तरह
दूर दूर फैली उदासी है
सूखे पतों की तरह
दूर दूर तक बिखरे हैं
सूखे पते
दबे पाऊँ चलू
लेकिन आवाज़ पतों की
कानो से होकर
दूर तक फैली खामोशी
तोड़ती जाये है
जिसे सुन कर
पंछी भी
इस तन्हाई के आलम में
चीखे चिलाये हैं
दिल में इक आह सी दबी है
सूखे पतों की तरह
दिल में दर्द की गहराई है
सूखे पतों की तरह
तुम सत्य हो या कोई माया हो!
5 weeks ago
No comments:
Post a Comment